-नरसिंहपुर में मीडिया से चर्चा में के दौरान कहा
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने
अयोध्या में राम निर्माण को लेकर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि मंदिर का निर्माण कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर की तर्ज पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पहले चालुक्य नरेशों का राज वहां था। 11वीं शताब्दी में इन नरेशों ने वहां पर एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर एक बार बनना है इसलिए इसकी विशालता और भव्यता का ध्यान रखा जाना जरूरी है। नरसिंहपुर में मीडिया को अंकोरवाट मंदिर का फोटो दिखाते हुए शंकराचार्य ने कहा- अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण का जिम्मा योग्य व्यक्तियों के हाथ में होना चाहिए। अयोध्या की 67 एकड़ भूमि का अधिग्रहण तत्कालीन केंद्र सरकार ने किया। उस समय नरसिम्हाराव प्रधानमंत्री थे। शंकराचार्य ने दावा किया कि नरसिम्हा राव ने कहा था कि अगर धर्माचार्य ये भूमि मांगेगे तो उन्हे दे दी जाएगी। इन बातों के लिखित दस्तावेज मेरे पास उपलब्ध हैं। इसके बाद कई जगह सम्मेलन करके हमने रामानुज ट्रस्ट का गठन किया, जो अधिग्रहण के बाद बना। इसलिए केंद्र सरकार को ये 67 एकड़ जमीन रामानुज ट्रस्ट को दे देनी चाहिए और उसी को अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराना चाहिए। सबसे बड़ा धार्मिक स्थल अंकोरवाट कंबोडिया में दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है। जो करीब 162.6 हेक्टेयर में फैला है। इसे मूल रूप से खमेर साम्राज्य में भगवान विष्णु के एक हिंदू मंदिर के रूप में बनाया गया था। यह मन्दिर मेरु पर्वत का भी प्रतीक है। इसकी दीवारों पर भारतीय धर्म ग्रंथों के प्रसंगों का चित्रण है।मीकांग नदी के किनारे सिमरिप शहर में बना यह मंदिर आज भी संसार का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है।